Jaipur मेट्रो के दूसरे चरण का निर्माण केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त उद्यम से किया जायेगा

Jaipur मेट्रो के दूसरे चरण का निर्माण केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त उद्यम से किया जायेगा
 
Jaipur मेट्रो के दूसरे चरण का निर्माण केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त उद्यम से किया जायेगा
जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर मेट्राे के सेकंड फेज में अब केंद्र सरकार की भागीदारी हाेगी, जबकि मेट्राे का प्रथम फेज 1ए से 1डी राज्य सरकार के स्तर पर बना है। सेकंड फेज सीतापुरा से अंबाबाडी-विद्याधर नगर के बीच बनना है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार के बीच जॉइंट वेंचर हाेगा। पुरानी डीपीआर काे नए सिरे से एग्जामिनेशन किया जाएगा। जाॅइंट वेंचर के लिए राज्य सरकार के यूडीएच शासन सचिव टी रविकांत और मेट्राे सीएमडी पी रमेश ने केंद्र सरकार के अधिकारियों से मुलाकात की है। इसमें मेट्राे के सेकंड फेज के विस्तार काे लेकर चर्चा हुई। अगर केंद्र और राज्य सरकार के बीच में जॉइंट वेंचर हाे जाता है ताे राजधानी ही नहीं, प्रदेश के अन्य शहराें में भी जल्द ही मेट्रो की प्लानिंग की जा सकेगी। जॉइंट वेंचर हाेने के बाद सेकंड फेज के निर्माण में लगने वाली 20 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार जारी करेगी। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार के अधिकारियो की निगरानी में काम पूरा हाेगा।

6 महीने में तैयार हाे जाएगी डीपीआर: मेट्राे के सेकंड फेज में सीतापुरा से अंबाबाड़ी-विद्याधर नगर के बीच बनने वाली मेट्राे की चार डीपीआर बन चुकी है। अब पहले से बनी डीपीआर की फिजिबिलिटी देखी जाएगी। इसमें तय होगा कि 23 किमी की दूरी के बीच बनने वाले मेट्रो ट्रैक किस जगह पर एलिवेटेड और किस जगह अंडरग्राउंड बनेगा। वहीं, शुरुआती डीपीआर 10 हजार कराेड़ जबकि तीन साल पहले बनी डीपीआर 4 हजार कराेड़ की बनी थी। अब दाेनाें ही डीपीआर की समीक्षा की जाएगी।

मंत्री-नेताओं की जमीन की वजह से अटका हुआ है प्रोजेक्ट का काम

मेट्रो के सेकंड फेज का काम पांच साल पहले शुरू हो जाता, लेकिन कुछ दिग्गज नेताओं की टोंक रोड स्थित बी-2 बाईपास चौराहे पर करोड़ों की जमीन होने की वजह से प्रोजेक्ट अटका हुआ है। यहां पर मंत्री और नेता करोड़ों की जमीन पर मॉल, फ्लैट और सिनेमा हॉल बनाने का प्लान बना रहे हैं। ऐसे में बी-2 बाइपास पर एलिवेटेड के जरिए मेट्रो का संचालन होता है तो मूल सड़क पर ट्रैफिक का दबाव कम हो जाएगा। जिससे जमीन के कॉमर्शियल दाम गिर जाएंगे। इसी वजह से मेट्रो के संचालन से पहले 155 करोड़ की लागत से दो तरफ अंडरपास और दो तरफ क्लोर लीफ बना दी ताकि मेट्रो का रूट बदला जा सके।