जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर देश-विदेश से राजस्थान आकर 50 से 500 रुपए तक का खर्च कर राज्य के विश्व प्रसिद्ध स्मारकों को देखने आने वाले पर्यटक कई परेशानियों का सामना कर रहे हैं। इन समस्याओं में स्मारकों पर गंदगी, लपकों का आतंक, पार्किंग की समस्या और छाया-पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव शामिल है।यही कारण है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले सात महीनों में प्रदेश के स्मारकों को देखने आने वाले पर्यटकों की संख्या में 13 प्रतिशत की गिरावट आई है। जहां 2023 में इन 33 स्मारकों पर 4 करोड़ से ज्यादा पर्यटक आए थे, वहीं 2024 के वित्तीय वर्ष के सात महीनों में इनकी संख्या घटकर 3 करोड़ 47 लाख रह गई हैविश्व प्रसिद्ध आमेर महल को देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से आते हैं लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इस साल अप्रेल से अक्टूबर तक आमेर महल आने वाले पर्यटकों की संख्या में ढाई लाख से ज्यादा की कमी आई है। इसकी प्रमुख वजह आमेर महल में पार्किंग की कमी और पर्यटकों का घंटों जाम में फंसना है। इसी तरह हवामहल, अल्बर्ट हॉल, नाहरगढ़ जैसे अन्य प्रमुख स्मारकों में भी स्थिति ठीक नहीं है।
सालाना 60 करोड़ की कमाई, सुविधाएं नहीं
चित्तौड़गढ़ किला: पद्मिनी महल में गंदगी से पर्यटक नाराज
दिवाली से पहले चित्तौड़गढ़ किला देखने आए विदेशी पर्यटक भी परेशान हुए। पद्मिनी महल के शौचालयों में गंदगी देख पर्यटकों को नाक पर रूमाल रखना पड़ा। कई पर्यटक तो भ्रमण बीच में ही छोड़ महल से निकल गए।
एक और चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इन स्मारकों पर लगने वाले टिकट से सरकार सालाना 60 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई कर रही है। बावजूद इसके, पर्यटकों की सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाने की बात आती है, तो सरकार और पुरातत्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे रहते हैं।
मैं लगातार स्मारकों पर साफ-सफाई, पर्यटकों की सुरक्षा, पार्किंग, छाया-पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाने की मांग कर रहा हूं। मेरी सरकार से अपील है कि वह स्मारकों पर पर्यटकों की संख्या में आई कमी को गंभीरता से ले और इन सुविधाओं को जल्द से जल्द बढ़ाए।