Jhalawar पिंडदान करने जा रहे तीन भाइयों की सड़क हादसे में मौत, 12 घायल

Jhalawar पिंडदान करने जा रहे तीन भाइयों की सड़क हादसे में मौत, 12 घायल
 
Jhalawar पिंडदान करने जा रहे तीन भाइयों की सड़क हादसे में मौत, 12 घायल

झालावाड़ न्यूज़ डेस्क, झालावाड़ पिंडदान करने गया (बिहार) जा रहे परिवार की बस रोहतास जिले में जीटी रोड फोरलेन पर खड़े ट्रक से टकरा गई। हादसे में तीन भाइयों की मौत हो गई। 12 लोग घायल हो गए। हादसा सोमवार सुबह करीब 5 बजे हुआ। यह परिवार राजस्थान के झालावाड़ जिले में भवानीमंडी थाना क्षेत्र के कोटड़ा गांव का रहने वाला है।टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि बस के आगे का हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। बस ट्रक में पीछे से फंस गई। मौके पर जुटे ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी और घायलों को बाहर निकालना शुरू किया। पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए सासाराम के सदर अस्पताल भेज दिया। जबकि घायलों को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया।

ड्राइवर को झपकी आने से हादसा हुआ

बिहार के चेनारी थानाध्यक्ष रंजन कुमार ने बताया- ड्राइवर को झपकी आने से हादसा हुआ। क्रेन की मदद से बस को हटाया गया है। पुलिस ने बस और ट्रक, दोनों को जब्त कर लिया है।हादसे में बालू सिंह (61), गोरधन सिंह (52) और नरेंद्र सिंह (50) की मौत हो गई। तीनों एक ही परिवार के सदस्य थे। रिश्ते में भाई लगते थे। वहीं, जालम सिंह, नम्मु कुंवर, फतेह सिंह, नारायण सिंह, ब्रजराज सिंह, नेपाल सिंह, राजेंद्र सिंह और कई महिलाएं घायल हो गईं।

परिवार में बार-बार हो रही मौतों से परेशान थे

मृतकों के परिजनों ने बताया कि‌ पिछले तीन-चार साल से परिवार में अचानक मौतें हो रही थीं। ठीक एक साल पहले भी परिवार के एक जवान युवक की मौत हो गई थी। बार-बार होने वाली इन मौतों को लेकर परिवार के मन में कई तरह की शंकाएं थीं, जिनके निवारण के लिए उन्होंने कुछ समय पूर्व पूजा-अनुष्ठान करवाया था।पंडितों के बताए गए उपायों के अनुसार, पूजा-अनुष्ठान के बाद परिवार के लोगों को बिहार के गया जाकर पितरों का पिंडदान करना था। पिंडदान करने के लिए पूरा परिवार एक निजी बस को किराए पर लेकर गया जाने के लिए निकला था, जहां यह हादसा हो गया।

गांव में सन्नाटा पसरा

हादसे की सूचना के बाद कोटड़ा गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। मरने वालों के अन्य परिजन और रिश्तेदार गांव पहुंचना शुरू हो गए हैं। बिहार से शवों को झालावाड़ लाने की व्यवस्था करने में जुटे हैं, ताकि अंतिम संस्कार किया जा सके। ग्रामीणों ने बताया कि किसी ने भी ऐसी उम्मीद नहीं की थी कि गमों का ऐसा पहाड़ टूट पड़ेगा।