Jhalawar कुल की रस्म के साथ मिठ्ठे महावली का उर्स संपन्न

Jhalawar कुल की रस्म के साथ मिठ्ठे महावली का उर्स संपन्न
 
Jhalawar कुल की रस्म के साथ मिठ्ठे महावली का उर्स संपन्न

झालावाड़ न्यूज़ डेस्क, झालावाड़ हजरत वाजा हमीदुद्दीन चिश्ती रहमतुल्ला अलेह मिठ्ठे महावली सरकार के आस्थाने पर उर्स के तीसरे दिन उर्स कुल की रस्म के साथ सपन्न हुआ। देश के जाने माने कई कव्वालों ने अपनी कव्वालियों के जरिये समा बांधा इस प्रकार तीन दिवसीय उर्स बुधवार की सुबह फजर के पहले सपन्न हुआ। देर रात मंगलवार को ईशा की नमाज के बाद कव्वालियों का प्रोग्राम हुआ जिसमें देश भर से आये करीब एक दर्जन से अधिक कव्वालों ने अपने कलाम पेश किये जिसमें सरफराज अनवर साबरी जलालाबाद, मुकर्रम वारसी भोपाल, आमिल आरिफ मेरठ, शब्बीर सदाकत हुसैन साबरी कपासन, मोईन निजामी कानपुर,सादिक चिश्ती रामपुर, अल्ताफ चिश्ती गागरोन, तबरेज हुसैन भोपाल, असलम कादरी बिजनोर सहित कई कव्वालों ने महफिल में अपनी कव्वालियों से समां बांधा।

उजडी है मेरी दिल की दुनिया सुकून को मेरे तबाह कर दे, मगर मेरी इल्तजा है तुझसे इधर भी अपनी निगाह कर दे,इसके बाद मुकर्रम वारसी ने ष् वाजा पिया के तुम हो दुलारे, तुहारी निराली शान है मिठ्ठे मिलेगा तो मिठ्ठे के दर पर मिलेगा, हर तरफ रेत का सुखा जंगल कैसे प्यासे ने वहां वक्त गुजारा होगा।  शब्बीर सदाकत हुसैन साबरी ने जहां मुस्तफा है वहीं घर बनाने को जी चाहता है व सोने के कंकर व चांदी सी मिट्टी नजर में बसाने को जी चाहता है सुनाया तो अकीदत मन्द झूमने पर मजबूर हो गए। देश में शांति की दुआ कीगई। इसके बाद जायरीनो को 550 किलो की बनी तबर्रूख की देग तकसीम की गई।