ये है ​क्रिकेट के डैड नंबर 1... साये की तरह डटे रहे पीछे, हर मुश्किल की पार, तब जाकर टीम इंडिया को मिले ये सुपर स्टार

ये है क्रिकेट के डैड नंबर 1... साये की तरह डटे रहे पीछे, हर मुश्किल की पार, तब जाकर टीम इंडिया को मिले ये सुपर स्टार
 
ये है ​क्रिकेट के डैड नंबर 1... साये की तरह डटे रहे पीछे, हर मुश्किल की पार, तब जाकर टीम इंडिया को मिले ये सुपर स्टार

क्रिकेट न्यूज़ डेस्क ।। वर्ष 2024 में भारतीय क्रिकेट के लिए एक नया सवेरा देखने को मिला, जिसमें ध्रुव जुरेल, सरफराज खान और नितीश कुमार रेड्डी ने अपना बहुप्रतीक्षित टेस्ट पदार्पण किया। अलग-अलग मैचों में पदार्पण करने वाले तीनों खिलाड़ियों ने ऐसा खेल दिखाया कि पूरी दुनिया में उनकी चर्चा होने लगी। सभी जानते थे कि भारतीय टीम के उभरते सितारे आ चुके हैं। ध्रुव जुरेल ने दबाव में शांत रहने की क्षमता दिखाई, सरफराज खान ने धैर्य दिखाया और नितीश रेड्डी ने निडरता से ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों का उनकी धरती पर सामना किया। जब ये तीनों उभरते सितारे भारत के लिए अपना पहला मैच खेल रहे थे, तो यह उनके पिता के लिए वर्षों के संघर्ष, उम्मीद और अपने बेटों के सपनों को साकार होते देखने का गौरवपूर्ण क्षण था।

नितीश रेड्डी: एक मध्यमवर्गीय पिता के त्याग का उदाहरण

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जब नितीश रेड्डी 12 साल के थे, तो उनके पिता ने उनके सपनों को पूरा करने के लिए अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी ताकि उनके बेटे की कोचिंग में कोई दिक्कत न आए। 20 लाख रुपये लगाकर कारोबार शुरू किया, लेकिन घाटा उठाना पड़ा। उस समय रेड्डी परिवार के पास नीतीश का बल्ला खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे। जब रेड्डी ने मेलबर्न टेस्ट में शतक बनाया तो स्टेडियम में मौजूद उनके पिता मुत्याला खुद को रोने से नहीं रोक सके।

ध्रुव जुरेल ने अपने कारगिल योद्धा पिता को सलाम किया

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रांची में इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट मैच में ध्रुव जुरेल का पहला टेस्ट अर्धशतक न केवल एक मील का पत्थर था, बल्कि यह उनके पिता और कारगिल युद्ध के योद्धा नाम सिंह जुरेल को एक सलाम भी था। इस उपलब्धि तक पहुंचने के बाद, 22 वर्षीय विकेटकीपर-बल्लेबाज ने अपने पिता की सेवा का सम्मान करते हुए और उन्हें सलाम करके बचपन की परंपरा को पूरा करते हुए जश्न मनाया। 14 वर्ष की आयु में उन्होंने कोच फूल चंद के मार्गदर्शन में नोएडा स्थित एक अकादमी में क्रिकेट खेलने के लिए आगरा में अपना घर छोड़ दिया। ध्रुव ने अपना पहला क्रिकेट किट खरीदने के लिए अपने सोने के गहने बेच दिए।

नौशाद: मैं सरफराज के दम पर टेस्ट खेल रहा हूं

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15 फरवरी को हुआ ऐसा, जब लंबे इंतजार के बाद सरफराज खान को डेब्यू करने का मौका मिला। तभी सरफराज खान के पिता नौशाद खान भावुक हो गए। वह अपने आँसुओं को नियंत्रित नहीं कर सका। नौशाद राजकोट में थे जब उनके बेटे को सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में पदार्पण के लिए कैप दी गई। जैसे ही 26 वर्षीय सरफराज को उनकी पदार्पण कैप मिली, वह तुरंत दौड़कर अपने पिता की तरह गले लग गए। यह पूरे खान परिवार के लिए एक भावुक क्षण था। नौशाद ने बताया कि वह अपने बेटे के माध्यम से टेस्ट क्रिकेट खेलने का सपना देख रहे हैं और उनकी कड़ी मेहनत और धैर्य का फल उन्हें अंततः मिला है।