Ranchi क्लीनिक पहुंचने वाले 10 मरीज में मिर्गी के लक्षण

Ranchi क्लीनिक पहुंचने वाले 10 मरीज में मिर्गी के लक्षण
 
Ranchi क्लीनिक पहुंचने वाले 10 मरीज में मिर्गी के लक्षण

झारखण्ड न्यूज़ डेस्क, मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (मस्तिष्क संबंधी विकार) है। इसके प्रति जागरुकता के लिए हर साल फरवरी के दूसरे सोमवार को अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जाता है। यह रोग मस्तिष्क में चोट, ब्रेन ट्यूमर, मानसिक सदमा या अत्यधिक नशीले पदार्थों के सेवन से भी हो सकता है। पिछले कुछ समय में झारखंड में बड़ी संख्या में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है। न्यूरो क्लीनिक पहुंचने वाले दस फीसदी मरीज में मिर्गी के लक्षण मिल रहे हैं। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ गोविंद माधव ने बताया कि मिर्गी एक लक्षण है, इसके पीछे कोई न कोई दूसरी बीमारी जरूर होती है। उसकी पहचान कर इलाज किया जाना चाहिए। कहा, झारखंड में मिर्गी के मरीजों की संख्या बढ़ने के पीछे दो कारण हैं। पहला एल्कोहल का सेवन और दूसरा पेट का कीड़ा दिमाग में चला जाना। सब्जी, फल सहित अन्य चीजें बिना धोए खाने से भी पेट में बनने वाला कीड़ा दिमाग में चला जाता है। डॉ गोविंद के अनुसार एल्कोहल लेने वालों की संख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है, मिर्गी के मरीजों की संख्या में भी उतनी ही तेजी से इजाफा हो रहा है। आंकड़ों के अनुसार एक हजार लोगों में से एक में मिर्गी की समस्या दिख रही है।

सहयोग की रखें भावना : मिर्गी की बीमारी में मरीज को मानसिक सपोर्ट की जरूरत होती है। लोगों को अलग-थलग नहीं पड़ने दें। मिर्गी साथ रहने-खाने और साथ बैठने से नहीं फैलता।

मरीज में दिखने वाले लक्षण

● अस्थायी भ्रम या चेतना का नुकसान। बार-बार झटका आना लक्षण आने पर बेहोश हो जाना।

● व्यक्ति का भयभीत व क्रोधित हो जाना, मुंह से झाग आने लगना।

● हाथ-पैर व शरीर में अकड़न का आना। मानसिक रूप से परेशानी।

लाइलाज नहीं है बीमारी

मिर्गी लाइलाज नहीं है। इस मिथक को तोड़ने की जरूरत है। अधिकतर मामलो में दो से तीन साल तक सही दवा लेने से बीमारी पूरी तरह ठीक हो जाती है। वहीं, कुछ मामलों में ही आजीवन दवा लेने की जरूरत होती है। मरीजों को शुरुआती दौर में ड्राइविंग व और स्वीमिंग से बचने की जरूरत है। रांची न्यूज़ डेस्क!!!