Bilaspur एफआइआर दर्ज होने के आठ महीने बाद भी जांच पूरी न होने पर कड़ी नाराजगी जताई

Bilaspur एफआइआर दर्ज होने के आठ महीने बाद भी जांच पूरी न होने पर कड़ी नाराजगी जताई
 
Bilaspur एफआइआर दर्ज होने के आठ महीने बाद भी जांच पूरी न होने पर कड़ी नाराजगी जताई

.बिलासपुर न्यूज डेस्क।।  छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज होने के आठ महीने बाद भी जांच पूरी नहीं होने पर नाराजगी जताई है. मामला शकित जिले के डभरा थाने का है, जहां एक आरोपी ने पुलिस की लापरवाही के कारण हुई एफआईआर को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की है.

मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की पीठ ने पुलिस अधिकारियों के रवैये पर सख्त रुख अपनाया. उन्होंने डीजीपी को ऑनलाइन उपस्थित होने का आदेश दिया. हालाँकि, अतिरिक्त महाधिवक्ता के अनुरोध पर यह आदेश वापस ले लिया गया। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश ने पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली पर तीखी टिप्पणी की.

अपना कर्तव्य करता है
चीफ जस्टिस सिन्हा ने कहा कि आए दिन मीडिया में अफसरों की तस्वीरें छप रही हैं, लेकिन वे वो काम नहीं कर रहे जो उनका हिस्सा है. वह कोई बॉलीवुड स्टार नहीं हैं. वह अपना कर्तव्य निभाता है. उन्होंने आगे कहा कि जांच को लंबित रखना घोर लापरवाही है और स्वीकार्य नहीं है. इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने लंबित जांच को लेकर पुलिस विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए.

अब सुनवाई 2 दिसंबर को होगी
अदालत ने इस मामले को एफआईआर को चुनौती देने वाले अन्य समान मामलों के साथ मिला दिया है। अब दोनों मामलों की सुनवाई एक साथ 2 दिसंबर को होगी. हाईकोर्ट की इस सख्ती से पुलिस विभाग के अधिकारियों पर दबाव बढ़ गया है. कोर्ट ने साफ संकेत दिया है कि लंबित जांच को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं.

क्या बात है
25 अप्रैल 2024 को सक्ती जिले के डभरा थाने में मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने प्रार्थी आरोपी के खिलाफ धारा 120बी, 408, 420 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है। एफआईआर को चुनौती देते हुए एक आरोपी ने अपने वकील के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति एके प्रसाद की खंडपीठ ने की. खास बात यह है कि इस मामले में एक आरोपी अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट में पेश हुआ. उन्होंने डिविजन बेंच के समक्ष अपना पक्ष भी रखा। डिवीजन बेंच को बताया गया कि 25 अप्रैल 2024 को पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। इसमें क्या हुआ, पुलिस ने आज तक कोई जानकारी नहीं दी है.

एसपी से लेकर जांच अधिकारी तक को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता
याचिकाकर्ता और आरोपी का जवाब सुनने के बाद चीफ जस्टिस ने हैरानी जताई. मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार की ओर से पेश अपर महाधिवक्ता से पूछा कि राज्य में क्या हो रहा है. हर मामले में एक जैसी स्थिति सामने आ रही है. एसपी से लेकर जांच अधिकारी तक किसी को कोई लेना-देना नहीं। साल दर साल मामलों की जांच जारी रहती है. मीडिया में अधिकारियों की तस्वीरें प्रकाशित की जा रही हैं. वे अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं. पीड़ित और आरोपी दोनों कोर्ट में पेश होकर अपनी परेशानी बता रहे हैं. सभी अदालतों में यही स्थिति है.

छत्तिसगढ न्यूज डेस्क।।