Lucknow गहरी जुताई से 15 से 20 प्रतिशत बढ़ेगी उत्पादकता

Lucknow गहरी जुताई से 15 से 20 प्रतिशत बढ़ेगी उत्पादकता
 
Lucknow गहरी जुताई से 15 से 20 प्रतिशत बढ़ेगी उत्पादकता

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  असहनीय गर्मी ने भले ही जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया हो लेकिन यह तापमान खेत की मिट्टी को फसल की बुआई लायक तैयार करने के लिए उपयुक्त है. इस समय 20 सेटीमीटर गहरी जुताई करने पर मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीट पतंगे नष्ट हो जाते हैं और फसलों का उत्पादन 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.

कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय बांदा के अन्तर्गत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र खिरियामिश्र ललितपुर के विषय वस्तु विशेषज्ञ सस्य विज्ञान डा. दिनेश ने बताया फसलों की अच्छी पैदावार के लिए गहरी जुताई बहुत ही आवश्यक होती है. इससे फसलों को जड़े बनाने व उन्हें पोषक तत्व पहुंचाने में मदद मिलती है. गर्मियों में यानि ग्रीष्मकाल में गहरी जुताई करने से कीट, खरपतवार और मृदा जनित रोगों का प्रबंधन होता है, जिससे फसल उत्पादन में 15-20 प्रतिशत तक वृद्धि होती है. किसान भाई ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई - महीने में मिट्टी पलटने वाले हल जैसे मोल्ड बोर्ड प्लाऊ, टर्न रेस्ट प्लाऊ, रिर्वस विल मोल्ड बोर्ड प्लाऊ आदि कृषि यंत्रों से कर सकते हैं. किसानों को कम से कम 03 वर्षों में एक बार खेतों की 20 सेंटीमीटर तक की गहरी जुताई करनी चाहिए. मिट्टी में लगातार एक जैसी फसलें लगाने, रासायनिक खादों व दवाओं के इस्तेमाल से मृदा सख्त व कठोर हो जाती है. जिस कारण सीमेंटेड लेयर (कड़ी परत) बन जाती है और भूमि में पानी प्रवेश नहीं कर पाता है, जिससे भूगर्भ जलस्तर में लगातार गिरावट देखी जा रही है. फसलों में विभिन्न प्रकार के रोग, कीट, बीमारियों, खरपतवारों की समस्या दिन प्रति दिन बढ़ती जाती है, जिससे फसलों के उत्पादन में गिरावट देखी जा रही है.

गहरी जुताई से मिलेंगे यह लाभ

ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करने से भूमि की ऊपरी कठोर परत टूटेगी, जिससे मृदा में वर्षा जल धीरे-धीरे रिस-रिसकर जमीन के अंदर जाएगा. वर्षा जल का रुकाव जमीन में अत्यधिक होने के कारण मृदा में जलधारण क्षमता बढ़ने लगेगी और जलस्तर में वृद्धि होगी. फसल अवशेष के मृदा में दबने जाने से कार्बनिक पदार्थ की मात्रा में वृद्धि होगी, जिससे मृदा में जैविक कार्बन का स्तर बढ़ेगा. मृदा की भौतिक संरचना में सुधार हो जाएगा. मृदा में हवा का आवागमन बढ़ने से सूक्ष्म जीवों की संख्या में वृद्धि हो जाएगी. जैविक पदार्थों का विघटन सर्वाधिक होगा, जिससे भूमि कि उर्वरा शक्ति बढ़ेगी.

 

 

लखनऊ न्यूज़ डेस्क