Lucknow साइबर ठगी से बचने के गुर बताए
उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क एकेटीयू में इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, सीडैक और इनोवेशन हब की ओर से यूपी वन डे मास्टर्स ट्रेनर ट्रेनिंग प्रोग्राम ऑन साइबर सेफ का आयोजन हुआ. मुख्य अतिथि डीआईजी साइबर क्राइम पवन कुमार ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया. बताया कि आज के दौर में साइबर क्राइम दुनिया की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है. यह तेजी से फैल रही है. इसके फ्रॉड के तरीके भी रोज बदल रहे हैं. कहा कि प्रदेश में साइबर क्राइम के करीब छह लाख मामले दर्ज हैं. जबकि इसके मुकाबले पुलिस वालों की संख्या बेहद कम है. जागरूकता से साइबर क्राइम को कम तो किया जा सकता है मगर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती. इसलिए इसे रोकने के लिए फुलप्रूफ तैयारी करनी होगी. कहा कि साइबर क्राइम को रोकने में दो तरीके काफी मदद कर सकते हैं.
पहला मोबाइल नंबर जिसके नाम है वही उपयोग करे. इसी तरह बैंक खाता जिसका है वही उसे संचालित करे. यदि इसमें कोई दूसरा व्यक्ति उपयोग करता है तो ज्यादा संभावना है कि साइबर क्राइम हो. सीडैक के एम जगदीश बाबू, कुलपति प्रोफेसर जेपी पांडेय, एसोसिएट डीन इनोवेशन डॉ. अनुज कुमार शर्मा समेत कई अन्य रहे. संचालन वंदना शर्मा और इनोवेशन हब के हेड महीप सिंह ने किया. इस कार्यक्रम में पूरे प्रदेश से पुलिस के अधिकारियों, शिक्षकों और छात्रों ने भागीदारी की.
खाते की जानकारी किसी से साझा न करें
एसपी साइबर क्राइम राजेश कुमार यादव ने कहा कि कुछ बातों का ध्यान रखकर साइबर क्राइम से बचा जा सकता है. इसके लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने खाते की जानकारी किसी से साझा न करें. भ्रामक विज्ञापनों के चक्कर में न फंसे. यदि कभी साइबर क्राइम का शिकार हो जाते हैं तो तुरंत टोल फ्री नंबर पर कॉल करने के साथ ही रिपोर्ट दर्ज कराएं.
पहले पुलिस साइबर सुरक्षा के बारे में जाने
पूर्व आइपीएस और एफसीआरएफ के चीफ मेंटॉर प्रो. त्रिवेणी सिंह ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आ जाने के बाद तो साइबर क्राइम करना और भी आसान हो गया है. इसलिए पुलिसवालों की जिम्मेदारी और अधिक हो गई है. पहले पुलिस को तकनीकी और साइबर सिक्योरिटी के बारे में खुद जानना होगा. जिससे वो जनता की पूरी मदद कर सके.
लखनऊ न्यूज़ डेस्क