Makar Sankranti 2025: 2 मिनट के इस वीडियो में देखिएं कैसे रहता है मकर संक्राति पर जयपुर शहर में माहौल
राजधानी जयपुर के बाजारों में मकर संक्रांति की रौनक शुरू हो गई है। आसमान से लेकर बाजार तक हर जगह झंडे नजर आने लगे हैं। मकर संक्रांति का त्यौहार पूरे राजस्थान में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन हर साल मकर संक्रांति की सबसे अधिक रौनक जयपुर में होती है। यहां के लोग सबसे ज्यादा पतंग उड़ाते हैं। जयपुर में पतंग का कारोबार भी हर साल सबसे ज्यादा होता है। यहां हर साल लाखों पंगतें तैयार की जाती हैं, जिनकी पूरे भारत में मांग है।
जयपुर के चारदीवारी बाजार में पतंगों की 300 से अधिक दुकानें हैं, जहां हर साल लाखों रुपए की पतंगें बिकती हैं। जिस प्रकार बरेली अपने मांझे के लिए प्रसिद्ध है, उसी प्रकार जयपुर अपनी चालू पतंगों के लिए प्रसिद्ध है। आपको बता दें कि जयपुर में राजा-महाराजाओं के समय से पतंग उड़ाने की परंपरा है। इसलिए हर साल मकर संक्रांति पर जयपुर में बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें खासतौर पर विदेशी पर्यटक भी हिस्सा लेने आते हैं।
देशभर से जयपुर में आते हैं पतंगे
जयपुर के चारदीवारी बाजार में वर्षों से पतंगों का व्यापार कर रहे बीकानेर निवासी असलम खान ने बताया कि पतंगों का व्यापार जयपुर में ही होता है। मकर संक्रांति के अवसर पर पूरे भारत से पतंग और मांझा व्यापारी जयपुर आते हैं और यहां से पतंगें पूरे भारत में पहुंचती हैं। जयपुर में सैकड़ों परिवार हैं जो पीढ़ियों से पतंग बनाते आ रहे हैं। उनके द्वारा बनाई गई पतंगों की बाजार में सबसे ज्यादा मांग है और उनकी पतंगों की गुणवत्ता भी सबसे अच्छी है। इसलिए जयपुर में हर साल लाखों पंगतें तैयार की जाती हैं।
हर साल करोड़ों का कारोबार होता है।
असलम खान ने बताया कि मकर संक्रांति पर जयपुर में पतंगबाजी का सबसे ज्यादा क्रेज रहता है। यही कारण है कि मकर संक्रांति पर पूरे जयपुर में करोड़ों का कारोबार होता है। इस समय बाजार में जयपुर की बड़ी पतंगों की मांग सबसे ज्यादा है। इसलिए यहां की मांग को देखते हुए मकर संक्रांति से एक महीने पहले ही पतंगों का व्यापार शुरू हो जाता है और लोग दूर-दूर से बाजारों में पतंगें खरीदने आते हैं। असलम बताते हैं कि जयपुर में पतंगों की कीमत भी 5 रुपए से लेकर 50 रुपए तक है। हर दुकान पर पतंग के आकार के अनुसार अलग-अलग कीमतें होती हैं।
मोबाइल फोन के कारण पतंग व्यापार खतरे में
वर्षों से पतंग का व्यापार कर रहे असलम का कहना है कि पूरे राजस्थान में पतंग उड़ाने की परंपरा पुरानी है, लेकिन बदलते वक्त के साथ पतंगबाजी कम हो गई है और इसका मुख्य कारण मोबाइल फोन है। जिस पर आज के युवा सबसे ज्यादा समय बिताते हैं। इसलिए पतंग उड़ाने वालों की संख्या में कमी आई है और इसका असर पतंग व्यवसाय पर भी पड़ रहा है। असलम का कहना है कि पतंग बनाने वाले और पतंग व्यापारी सोशल मीडिया पर भी अभियान चला रहे हैं ताकि लोग मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा को बनाए रखें और नियमों के अनुसार पतंग उड़ाएं। उन्होंने बताया कि पतंग उड़ाना एक अनोखा शौक है, इसे करने वाले लोग मकर संक्रांति से पहले और बाद में जमकर पतंग उड़ाते हैं। ऐसे लोगों की संख्या भी हजारों में है, इसलिए पंतग का बाजार उन लोगों की वजह से आज भी बरकरार है।