Munger विभिन्न प्रतियोगिताओं में मुंगेर विश्वविद्यालय की ओर से खिलाड़ियों को जैसे- तैसे भेजा जा रहा
बिहार न्यूज़ डेस्क मुंगेर विश्वविद्यालय के स्थापित हुए 5 वर्ष बीत चुके हैं. इसके बावजूद विश्वविद्यालय में अभी तक खेल सुविधाओं का कोई विकास नहीं हो पाया है. खेल के नाम पर विश्वविद्यालय में अब तक केवल खानापूर्ति हुई है. विश्वविद्यालय द्वारा प्रतिवर्ष खेल के नाम पर विभिन्न खेलों में अंतर महाविद्यालयी खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है.
इसके साथ ही विश्वविद्यालय के द्वारा कुछ खेलों के खिलाड़ियों को दूसरे विश्वविद्यालयों में आयोजित स्नातक स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए भेजा जाता हैं, वह भी जैसे- तैसे. यही नहीं, विश्वविद्यालय अभी तक विभिन्न खेलों के लिए स्नातकोत्तर टीम भी नहीं बना पाई है. इसके अलावा आज तक विश्वविद्यालय में एक भी पीटीआई की नियुक्ति नहीं हो पाई है. ऐसे में किसी भी प्रतियोगिता में भाग लेने से पूर्व वाले खिलाड़ियों को विश्वविद्यालय द्वारा प्रशिक्षण की अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की जाती रही है. यानी विश्वविद्यालय स्तर पर मुंगेर विश्वविद्यालय में खिलाड़ियों के प्रशिक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है. खिलाड़ी अपने खर्च एवं दम पर अभ्यास करते हैं और प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं. विश्वविद्यालय केवल किसी तरह से प्रतियोगिताओं में भाग लेने में आने वाले खर्च का ही वहन करती है. वास्तविकता यह है कि, मुंगेर विश्वविद्यालय का अभी तक अपने यहां खेल सुविधाओं के विकास पर कोई ध्यान नहीं है. ऐसे में तमाम असुविधाओं के बीच मुंगेर विश्वविद्यालय के खिलाड़ी आगे कैसे बढ़ेंगे यह एक विचारणीय प्रश्न है.
कॉलेज समय पर नहीं उपलब्ध कराता है खेल अंशदान
विश्वविद्यालय सूत्र के अनुसार विश्वविद्यालय के पास भले ही अभी तक अपना भवन, अन्य सभी आधारभूत संरचनाएं एवं अन्य सारी सुविधाएं नहीं है, किंतु इसके अधिकांश कॉलेजों के पास खेल सुविधाओं के विकास के लिए जगह की कमी नहीं है. विश्वविद्यालय यदि अब तक चाहती तो अपने कॉलेज में खेल सुविधाओं का विकास कर खेल को बढ़ावा देती. किंतु, विश्वविद्यालय के अधिकारी अभी तक इसके प्रति उदासीन रहे हैं. इसके साथ ही खेल विभाग स्वयं आर्थिक अभाव से भी जूझ रहा है. इस संबंध में जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय सूत्र ने बताया कि, खेल के नाम पर कॉलेजों में विद्यार्थियों के नामांकन के समय उनसे जो शुल्क लिया जाता है उसमें से आधी राशि विश्वविद्यालय के अंश का होता है. किंतु, यह राशि कॉलेज द्वारा अपने मन से समय पर विश्वविद्यालय को उपलब्ध नहीं कराया जाता है. विश्वविद्यालय खेल अधिकारी द्वारा पत्र भेजने के बाद कोई- कोई कॉलेज ही खेल मद के विश्वविद्यालय अंशदान की राशि विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराते हैं. अभी भी कई कॉलेजों ने विश्वविद्यालय को उसका अंशदान उपलब्ध नहीं कराया है. इसको लेकर पिछले दिनों विश्वविद्यालय में आयोजित प्राचार्यों की बैठक में भी खेल पदाधिकारी द्वारा चर्चा की गई थी.
मुंगेर न्यूज़ डेस्क