राजस्थान की इस हवेली में आज भी मौजूद हैं मिट्टी से तेल से चलने वाला पंखा और फ्रीज, वीडिया देख नहीं होगा यकीन

राजस्थान का लगभग हर शहर किसी ना किसी फोर्ट, पैलेस, भवन और हवेली के लिए सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में प्रसिद्ध है। इस ऐतिहासिक राज्य में इन्हीं सभी फोर्ट्स, महलों और हवेलियों को देखने के लिए हर महीने लाखों सैलानी पहुंचते हैं। राजस्थान का जैसलमेर भी कई ऐतिहासिक फोर्ट, पैलेस और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध हैं.....
 
राजस्थान की इस हवेली में आज भी मौजूद हैं मिट्टी से तेल से चलने वाला पंखा और फ्रीज, वीडिया देख नहीं होगा यकीन

राजस्थान न्यूज डेस्क !!! राजस्थान का लगभग हर शहर किसी ना किसी फोर्ट, पैलेस, भवन और हवेली के लिए सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में प्रसिद्ध है। इस ऐतिहासिक राज्य में इन्हीं सभी फोर्ट्स, महलों और हवेलियों को देखने के लिए हर महीने लाखों सैलानी पहुंचते हैं। राजस्थान का जैसलमेर भी कई ऐतिहासिक फोर्ट, पैलेस और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध हैं।

एक तरफ जहां जैसलमेर अपने सोनार किले के लिए सारी दुनिया में मशहूर है, वहीँ दूसरी ओर वहां स्थित पटवों की हवेली विश्वभर में अपनी अद्भुत संरचना, वास्तुकला और बनावट के लिए प्रसिद्ध है। पटवों की हवेली जैसलमेर ही नहीं बल्कि राजस्थान के सबसे प्रमुख पर्यटन और ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। इस हवेली की सबसे खास बात ये है कि सिर्फ इसका डिज़ाइन तैयार करने में ही करीब 30 साल लग गए थे, तो आइए आज आपको लेकर के चलते है पटवों की हवेली के वीडियो टूर पर 

जैसलमेर में मौजूद ऐतिहासिक पटवों की हवेली राजस्थान की सबसे प्राचीन संरचनाओं में से एक है। पटवों की हवेली पांच हवेलियों का एक समूह है जिसका निर्माण जैसलमेर के एक अमीर व्यापारी पटवा द्वारा करवाया गया था। इस व्यापारी के पांच बेटे थे और उनमे से हर एक के लिए एक-एक हवेली का निर्माण करवाया गया था। ऐसा माना जाता है कि सिर्फ इस हवेली का डिज़ाइन तैयार करने में यहां के वास्तुकारों को लगभग तीस साल और इसे बनाने में लगभग तीस ओर साल लग गए थे, यानि इन पांच हवेलियों को बनाने में लगभग 60 साल से अधिक का समय लगा था। वर्ष 1805 में पहली हवेली का निर्माण गुमान चंद पटवा द्वारा किया गया था, जो भारत के एक प्रसिद्ध आभूषण और ब्रोकेस के व्यापारी थे, जिसके चलते इस हवेली को कोठारी की पटवा हवेली के नाम से भी जाना जाता है। 

इस हवेली की वास्तुकला की बात करें तो यहां की सबसे खास बात यह है कि इस हवेली की दीवारों पर कांच का बहुत ही सुंदर और अद्भुत वर्क किया गया है। दीवारों के ऊपर पेड़-पौधों, प्रकृति, जानवरों और ऐतिहासिक घटनाओं के चित्र और बेहतरीन नक्काशी काफी खूबसूरती से की गई है। पटवों की हवेली में 60 से ज्यादा बालकनियाँ मौजूद है, जिनके खम्भों पर अलग-अलग तरह की दिलमोह लेने वाली चित्रकारी की गई है। इस हवेली का हर दरवाजा बारीक नक्काशियों की डिजाइनों से भरा हुआ है, जो वास्तुकला के किसी अद्भुत नमूने से कम नहीं है। इसके साथ ही इस हवेली के हर झरोखे, मेहराब, बाल-कनियों और प्रवेश द्वार पर भी सोने, चाँदी और ब्रोकेस से जटिल नक्काशी और पेंटिंग की गई हैं। हालाँकि समय की उदासीनता, आक्रमक जलवायु और अतिक्रमण के चलते इसकी भव्यता में कुछ दाग लगे हैं।  

अगर आप भी राजपूती वास्तुकला के इस अद्भुत नमूने के दीदार का प्लान बना रहे हैं तो आपको बता दें कि, पटवों की हवेली पर्यटकों के लिए सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक खुली रहती है। पटवों की हवेली घूमने के लिए आपको 20 रूपये प्रति व्यक्ति का प्रवेश शुल्क देना पड़ेगा। जैसलमेर और इसके पर्यटन स्थलों की सैर करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक के महीनों को माना जाता है। इस हवेली के आसपास मौजूद होटल्स में आप पारंपरिक भोजन जैसे दाल बाटी चूरमा, मुर्ग-ए- सब्ज, मसाला रायता आदि भोजन का लुत्फ़ उठा सकते हैं।

अगर आप पटवों की हवेली की यात्रा का प्लान बना रहे है तो आप हवाई, रेलवे और सड़क मार्ग से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां से निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर हवाई अड्डा है जो यहां से लगभग 300 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है। रेल मार्ग से पटवों की हवेली की यात्रा करने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन जैसलमेर है जो यहां से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अगर आप सड़क मार्ग से यहां की यात्रा का प्लान बना रहे हैं तो बता दें कि जैसलमेर देश और राज्य के बाकी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह कनेक्टेड है। आप एयरपोर्ट, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से ऑटो, कैब या सिटी बस से आसानी से यहां पहुंच सकते हैं।