देश का ऐसा इकलौता मंदिर जहां होती हैं भगवान विष्णु के पैर के छाप की पूजा, जानें क्या है इसके पीछे का रहस्य?

बिहार के कई प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है गया का विष्णुपद मंदिर। यह मंदिर फल्गु नदी के तट पर स्थित.....
 
देश का ऐसा इकलौता मंदिर जहां होती हैं भगवान विष्णु के पैर के छाप की पूजा, जानें क्या है इसके पीछे का रहस्य?

ट्रेवल न्यूज़ डेस्क !!! बिहार के कई प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है गया का विष्णुपद मंदिर। यह मंदिर फल्गु नदी के तट पर स्थित है। ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार विष्णुपद मंदिर का अस्तित्व सदियों पुराना है। आपको बता दें कि इस मंदिर के परिसर में भगवान विष्णु की मूर्ति के बजाय उनके पैरों के निशान की पूजा की जाती है। यह मंदिर सनातन भक्तों के बीच अत्यधिक पूजनीय है। यहां साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है। दुनिया भर से लोग यहां भगवान विष्णु के चरण छूने आते हैं। इसके साथ ही आइए अब इस मंदिर के इतिहास के बारे में विस्तार से बताते हैं।

देश का ऐसा इकलौता मंदिर जहां होती हैं भगवान विष्णु के पैर के छाप की पूजा, जानें क्या है इसके पीछे का रहस्य?

पौराणिक कथा के अनुसार, गयासुर नामक राक्षस ने कठोर तपस्या की और वरदान प्राप्त किया कि जो कोई भी उसकी ओर देखेगा उसे मोक्ष प्राप्त होगा। इस कारण कर्म और उसके परिणाम बेईमान होते जा रहे थे। यह देखकर भगवान विष्णु से रहा नहीं गया और उन्होंने अपना पैर उस गयासुर की छाती पर रख दिया और उसे पृथ्वी की सतह से नीचे दबा दिया। इससे चट्टानी सतह पर उनके पैरों के निशान रह गए और उस स्थान को मंदिर के रूप में बनाया गया। तभी से यह मंदिर विष्णुपद मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस शहर का नाम भी गयासुर के नाम पर ही रखा गया है.

देश का ऐसा इकलौता मंदिर जहां होती हैं भगवान विष्णु के पैर के छाप की पूजा, जानें क्या है इसके पीछे का रहस्य?

गया के विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह में एक पत्थर पर भगवान विष्णु के पैरों के निशान हैं। 18 इंच लंबी यह मूर्ति भगवान विष्णु के दाहिने पैर की है, जो चांदी की अष्टकोणीय प्लेटों से बने बेसिन से घिरी हुई है। इसके ठीक सामने माता लक्ष्मी की स्वर्ण प्रतिमा भी है, जिसका प्रतिदिन श्रृंगार किया जाता है। इस मंदिर में आपको पूरे साल भक्तों की भीड़ देखने को मिलेगी।

विष्णुपद मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध एक अनोखा मंदिर है जहां भगवान के पैरों के निशान की पूजा की जाती है। लोग यहां अपने प्रियजनों को श्रद्धांजलि देने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर गयासुर को एक दिन भी भोजन न मिले तो वह वापस संसार में लौट सकता है। इसलिए यहां रोजाना पूजा होती है और साल भर इस मंदिर में तीर्थयात्रियों का तांता लगा रहता है। यह मंदिर फल्गु नदी के तट पर स्थित है।कृपया इस लेख के बारे में अपनी राय हमें कमेंट बॉक्स में बताएं। साथ ही अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें और इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट हरजिंदगी से जुड़ी रहें।