लंदन के बिग बेन टावर की तर्ज पर बना है लखनऊ का ये घंटाघर, इस जून आप भी जरूर करें इसका दीदार

एक समय था जब घंटाघर शहर के लिए बहुत महत्वपूर्ण थे। सारा नगर उनके बताये समय पर ही अपनी दिनचर्या निर्धारित करता था। तब किसी भी घर में घड़ी नहीं होती थी.....
 
लंदन के बिग बेन टावर की तर्ज पर बना है लखनऊ का ये घंटाघर, इस जून आप भी जरूर करें इसका दीदार

ट्रेवल न्यूज़ डेस्क !!! एक समय था जब घंटाघर शहर के लिए बहुत महत्वपूर्ण थे। सारा नगर उनके बताये समय पर ही अपनी दिनचर्या निर्धारित करता था। तब किसी भी घर में घड़ी नहीं होती थी और शहर का समय घंटाघर से निर्धारित होता था। ये घड़ियाँ न केवल समय बताती थीं, बल्कि अपनी स्थापत्य सुंदरता के लिए भी दुनिया भर में प्रसिद्ध थीं।समय बदला, जीवन की गति बदली और ये घंटाघर धीरे-धीरे लुप्त हो गए। आज उनसे कोई घड़ी नहीं लेता, लेकिन ऐसे कई घंटाघर हैं जो इतिहास में दबे हुए हैं। वैसे, हमारे पास वॉच टावरों की एक सूची है जिनका इतिहास जानना दिलचस्प है।

लेकिन लखनऊ के इतिहास के साथ कई घंटाघर आज भी ऐसे खड़े हैं मानो राहगीर शहर को बदलते हुए देख रहे हों। वक्त की इन इमारतों ने खुद वक्त की मार झेली, लेकिन हार नहीं मानी। इस लिस्ट में लखनऊ का हुसैनाबाद क्लॉक टावर भी शामिल है, जिसका इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है।यह घंटाघर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यह नगर निगम कार्यालय, लोहिया पार्क और क्रिश्चियन कॉलेज आदि कई जगहों की खूबसूरती बढ़ाने का काम करता है। इतिहास के अनुसार जिस काल में इनका निर्माण हुआ उस दौरान लोगों के पास समय बताने का कोई साधन नहीं था।

लंदन के बिग बेन टावर की तर्ज पर बना है लखनऊ का ये घंटाघर, इस जून आप भी जरूर करें इसका दीदार

उस समय घड़ियाँ केवल रईसों के पास हुआ करती थीं। इसलिए समय का पता लगाने के लिए अंग्रेज़ों से लेकर कई नवाबों ने घंटाघर बनवाए थे। हुसैनाबाद इलाके का ऐतिहासिक घंटाघर अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है.इस ऐतिहासिक विरासत की खूबसूरती देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक नवाबों के शहर में आते हैं। यहां के निवासियों के लिए घंटाघर किसी कोहिनूर से कम नहीं है। नवाबों के शहर लखनऊ का घंटाघर भारत का सबसे ऊंचा घंटाघर है।

वैसे इस घंटाघर का निर्माण 1881 में हुआ था। इतिहास के अनुसार इसे सर जॉर्ज कूपर के आगमन पर नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने बनवाया था। ऐसा कहा जाता है कि क्लॉक टॉवर अपनी वास्तुकला के लिए जाना जाता है, क्योंकि इसे लंदन के बिग बेन की तर्ज पर बनाया गया है।इसलिए इस घंटाघर को ब्रिटिश वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरणों में से एक माना जाता है। यह 221 फीट ऊंचा है और इसे बनाने में लगभग 1.75 लाख रुपये की लागत आई है। यह घंटाघर अंग्रेजी कलात्मक शिल्प कौशल का उदाहरण माना जाता है।

लंदन के बिग बेन टावर की तर्ज पर बना है लखनऊ का ये घंटाघर, इस जून आप भी जरूर करें इसका दीदार

इतिहास के अनुसार, रास्कल पायने ने इस 67 मीटर ऊंचे घंटाघर की संरचना को डिजाइन किया था जो विक्टोरियन और गॉथिक शैली के संरचनात्मक डिजाइन को दर्शाता है। घड़ियों के निर्माण में गनमेटल का उपयोग किया गया हैसका विशाल पेंडुलम 14 फीट लंबा है और घड़ी के डायल पर पुष्प डिजाइन नंबर हैं। सर जॉर्ज ताजिर को समर्पित घंटाघर को विजय स्तंभ का रूप माना जाता है। इसका निर्माण इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर किया गया था, ताकि विद्यार्थी समय के अनुसार पढ़ाई कर सकें।