इस वीकेंड आप भी करें भगवान श्री मदहेश्वर के दर्शन, हर मनोकामना होगी पूरी, वीडियो में देखें बाबा का चमत्कार

उत्तराखंड में हिमालय की ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं पर स्थित पंच केदारों में से प्रतिष्ठित द्वितीय केदार भगवान श्री मद्महेश्वर जी के कपाट सोमवार सुबह 11.15 बजे विधिवत खोल दिए गए............
 
इस वीकेंड आप भी करें भगवान श्री मदहेश्वर के दर्शन, हर मनोकामना होगी पूरी, वीडियो में देखें बाबा का चमत्कार

उत्तराखंड में हिमालय की ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं पर स्थित पंच केदारों में से प्रतिष्ठित द्वितीय केदार भगवान श्री मद्महेश्वर जी के कपाट सोमवार सुबह 11.15 बजे विधिवत खोल दिए गए। इस अवसर पर साढ़े तीन सौ से अधिक श्रद्धालु उपस्थित थे। कहा जाता है कि इस पवित्र स्थान के जल की कुछ बूंदें ही मोक्ष के लिए काफी हैं।

बद्रीनाथ केदार नाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के प्रवक्ता डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि श्री मदमहेश्वर जी की देवडोली के आगमन के बाद आज सुबह दस बजे कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई. ठीक 11:15 बजे पुजारी टी गंगाधर लिंग ने पूजा के बाद बीकेटीसी अधिकारियों, हक-हकूकधारियों की उपस्थिति में औपचारिक रूप से श्री मदम महेश्वर मंदिर के दरवाजे खोले।

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 इसके बाद भगवान मदमहेश्वर जी के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप, निर्वाण रूप और उसके बाद श्रृंगार रूप दिया गया। इसके बाद भक्तों ने दर्शन किए। कपाट खुलने के अवसर पर पुष्प सेवा समिति, ऋषिकेश द्वारा मंदिर को फूलों से सुंदर ढंग से सजाया गया था। श्री केदारनाथ धाम, श्री तुंगनाथ जी, श्री रुद्रनाथ जी के कपाट पहले ही खुल चुके हैं और पंचम केदार श्री कल्पेश्वर जी (उर्गम) के कपाट वर्ष भर खुले रहते हैं।

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में उखीमठ के पास स्थित इस मंदिर में मध्यमहेश्वर शिव की पूजा नाभि लिंग के रूप में की जाती है। मदमहेश्वर के बारे में कहा जाता है कि जो कोई मदमहेश्वर की महिमा को भक्तिपूर्वक या बिना भक्ति के, बिना कुछ किये सुनता या पढ़ता है, उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही अगर कोई यहां दान देता है तो उसके सौ वंश नष्ट हो जाएंगे।

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बता दें कि पंच केदार में प्रथम केदार भगवान केदारनाथ हैं, जिन्हें बारहवें ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है। दूसरा केदार मद्महेश्वर है, जबकि तीसरा केदार तुंगनाथ, चौथा केदार भगवान रुद्रनाथ और पांचवां केदार कालेश्वर है। मद्मेश्वर में भगवान शंकर के मध्य भाग के दर्शन होते हैं। दक्षिण भारत के शेव पुजारी यहां भी केदारनाथ की तरह पूजा करते हैं।