वायरल डॉक्यूमेंट्री में जानें जयपुर की ये जगह क्यों कहलाती है राजस्थान का ताजमहल ?

पिंक सिटी के नाम से मशहूर जयपुर में राजा महाराजाओं के ऐतिहासिक किले, महल तथा सुंदर बाग और अद्भुत मंदिर देखने को मिलते है.....
 
वायरल डॉक्यूमेंट्री में जानें जयपुर की ये जगह क्यों कहलाती है राजस्थान का ताजमहल ?

पिंक सिटी के नाम से मशहूर जयपुर में राजा महाराजाओं के ऐतिहासिक किले, महल तथा सुंदर बाग और अद्भुत मंदिर देखने को मिलते है। इसी कारण ये जगह सिर्फ देशी नही बल्कि विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद है। एक तरफ जहां हवा महल के अंदर कदम रखते ही लोगों को राजपूती और इस्लामी मुगल वास्तुकला का बेजोड़ मेल देखने को मिलता है, तो वहीं शहर से छह किलोमीटर दूर स्थित सिसोदिया रानी का बाग ऐसी जगह है जिसकी खूबसूरती देख आपका मन प्रसन्न हो जायेगा। तो आईये आज के इस वीडियो में हम करते हैं राजस्थान का ताजमहल कहलाये जाने वाले सिसोदिया रानी के बाग की यात्रा 

जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह को अपनी दूसरी पत्नी यानि उदयपुर की राजकुमारी चंद्रकँवर से विशेष प्यार था, जिनके लिए उन्होंने एक विशेष उद्यान बनवाया। जिसका नाम सिसोदिया रानी बाग रखा गया, जो एक बाग और रानी का महल है। इसका निर्माण सवाई जयसिंह ने 1728 में करवाया था। इसी महल में जयपुर के राजकुमार माधोसिंह का जन्म हुआ, जो 1750 ई में जयपुर के राजा बने। अपनी सुंदरता के चलते सिसोदिया रानी का बाग फिल्मों की शूटिंग के लिए फिल्ममेकर्स की पहली पसंद है। जहां कई सुपरहिट फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है जिनमें लम्हें और धड़क जैसी सुपरहिट फिल्में शामिल है. जयपुर में शूट होने वाले कई सीरियल व गानों की भी यहां शूटिंग हुई है. फोटोग्राफी, इतिहास और प्रकृति प्रेमियों के लिए यह मशहूर बाग उत्तर भारत का सबसे फेवरिट डेस्टिनेशन है.

महारानी चंद्रकँवर सिसोदिया को प्रकृति से विशेष प्रेम था। वे अक्सर अपने खाली समय में प्रकृति की गोद में आराम किया करती थीं, प्रकृति के प्रति रानी के विशेष प्रेम को देखते हुए राजा सवाई जयसिंह ने इस बाग को बनवाया, जिसका नाम 'सिसोदिया रानी का बाग' रखा गया। ये बाग न केवल राजा रानी बल्कि राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक भी है। 

हरे-भरे पेड़ों और फूलों की क्यारियों के अलावा, यहां खूबसूरत चारबाग शैली का उद्यान अपने बहुस्तरीय महल, मंडपों, मंदिरों, भित्तिचित्रों, दर्शनीय स्थलों, चित्रों और फव्वारों के लिए प्रसिद्ध है। इस उद्यान को देखने विदेशी पर्यटकों और स्थानीय लोगों की सालभर भीड़ लगी रहती है। महल की दीवारों पर बनाये गए भित्ति चित्र मुख्य रूप से भगवान कृष्ण और उनकी सबसे प्रिय राधा के जीवन की प्रेम कहानियों और किंवदंतियों पर आधारित हैं। मुगल आर्किटेक्चर के नायब इस उदाहरण सिसोदिया रानी के बाग़ को इतनी कलात्मकता से बनाया गया था कि रानी अपने महल से इस खूबसूरत बगीचे का हर कोना देख सकती थी।

सिसोदिया रानी बाग़ के वास्तुशिल्प लेआउट की बात करें तो ये मुगल उद्यानों की चारबाग शैली से प्रभावित है। यह उद्यान बहु-स्तरीय है जिसमें फूलों की क्यारियाँ और फव्वारे हैं, जो मुगल उद्यानों की खासियत है। जो लोग चारबाग उद्यान शैली से अनजान हैं, उनके लिए बता दें कि इसे विशेष रूप से मुगलों की देन कहा जाता है। एक फ़ारसी शैली है जिसमें एक वर्गाकार बाग को चार छोटे भागों में, चार पैदल पथों या बहते पानी द्वारा चार छोटे भागों में बाँटा जाता है। इस तरह की उद्यान शैली ईरान और भारत सहित संपूर्ण पश्चिमी और दक्षिण एशियाई देशों में पाई जाती है। चारबाग उद्यान डिजाइन का सिद्धांत कुरान में उल्लेखित किया गया है, जहाँ चारबाग को स्वर्ग के उद्यान के रूप में वर्णित किया गया है।

सिसोदिया रानी का बाग के शिखर और मंडप हिंदू रूपांकनों और कृष्ण के जीवन से संबंधित चित्रों से सजे हैं और भारतीय वास्तुकला में निर्मित हैं। महल की दीवारों पर राधा और कृष्ण के सुंदर भित्ति चित्रों के अलावा, शिकार के दृश्यों को भी चित्रित किया गया है। इस बाग  की सुनियोजित वास्तुकला का एक शानदार उदहारण ये है कि इस महल की कोई भी सीढ़ी दिखाई नहीं देतीं है और ऐसा लगता है मानो किसी ने सीढ़ियों को छिपा दिया है। सिसोदिया रानी बाग में भगवान शिव, भगवान हनुमान और भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर भी है, जिनके बगल में एक आकर्षक प्राकृतिक झरना है, जो बारिश के समय में बहता है। 

सिसोदिया रानी बाग में प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए प्रति व्यक्ति जहां 55 रुपए है, तो वहीं विदेशी पर्यटकों के लिए प्रति व्यक्ति 302 रुपए रखा गया है। वहीं पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए इसकी कीमत मात्र 25 रुपए है। इतना ही नहीं, 7 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का प्रवेश निशुल्क है।  

अगर आप जयपुर में सिसोदिया रानी का बाग घूमने का प्लान बना रहे है तो आप जयपुर हवाई, ट्रेन या सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। :: अगर आप फ्लाइट से यात्रा करके सिसोदिया रानी का बाग जयपुर जाने का प्लान बना रहे है तो आपको बता दे की यहां से सबसे निकटतम हवाई अड्डा सांगानेर हवाई अड्डा है जो इस जगह से 13 किलोमीटर की दूरी पर है। आप जयपुर हवाई अड्डे से टैक्सी ,केब या बस से यात्रा करके सिसोदिया रानी बाग पहुंच सकते हैं। यहां तक पहुंचने के लिए आपको ऑटो से 150, कैब से 200 और बस से 30 रूपये खर्च करने पड़ सकते हैं। ट्रेन से यहां पहुंचने के लिए सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन जयपुर रेलवे स्टेशन है, जो सिसोदिया रानी के बाग से 10 किलोमीटर की दूरी पर है। रेलवे स्टेशन से यहां तक पहुंचने के लिए आपको ऑटो से 80, कैब से 100 और बस से 20 रूपये खर्च करने पड़ सकते हैं। अगर आप सिसोदिया रानी का बाग जयपुर की सड़क मार्ग से यात्रा करने की योजना बना रहे है तो यह जयपुर बस अड्डे से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बस अड्डे से यहां तक पहुंचने के लिए आपको ऑटो से 90, कैब से 150 और बस से 20 रूपये खर्च करने पड़ सकते हैं