Agra पोस्टमार्टम में नहीं खुला रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल की मौत का राज
उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क रिटायर लेफ्टिनेंट कर्नल विजय तोमर की मौत का राज पोस्टमार्टम में नहीं खुल सका. तीन डॉक्टरों के पैनल ने उनके शव का पोस्टमार्टम किया. मौत की वजह पता नहीं चलने पर विसरा सुरक्षित रखा गया है. विसरा की जांच विधि विज्ञान प्रयोगशाला में होगी. विसरा सुरक्षित रखने से इतना तो साफ हो गया है कि उनकी मौत हार्ट अटैक से नहीं हुई थी. जेल प्रशासन कठघरे में आ गया है. जेल प्रशासन ने उनकी मौत की वजह प्रथम दृष्टया हार्ट अटैक बताई थी.
सिकंदरा थाने से धोखाधड़ी के मुकदम में जेल भेजे गए मान विहार कालोनी, शमसाबाद मार्ग निवासी रिटायर लेफ्टिनेंट कर्नल विजय तोमर की को जिला जेल में तबियत बिगड़ी थी. जेल कर्मी उन्हें एसएन इमरजेंसी लेकर आए थे. उनके शव को स्ट्रेचर पर छोड़कर भाग गए थे. उनकी पत्नी अलका सिंह ने पुलिस और जेल प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया था. आरोप लगाया था कि कारोबारी लेन-देन के मामले में गलत धारा में उनके पति को जेल भेजा गया था. जबकि यह मामला पहले से एमएसएमई परिषद के समक्ष सिविल केस और नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत दायर किया था, जो लंबित है. विजय तोमर के खिलाफ मुकदमा कैप्टन एएस राणा की पत्नी सुनीता राणा ने दर्ज कराया था. पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों के सुपुर्द किया गया.
सदमे में हैं परिजन
विजय तोमर के परिजन घटना से सदमे में हैं. उनकी हाईकोर्ट से जमानत मंजूर हो गई थी. एक-दो दिन में उनकी रिहाई का परवाना आता. इससे पहले मौत का पैगाम आ गया. पोस्टमार्टम में मौत की वजह साफ नहीं होने से गुत्थी उलझ गई है. विजय तोमर के परिजनों का आरोप है कि जेल में उनका उत्पीड़न किया जा रहा था. उनकी मौत भी गहरी साजिश का हिस्सा है. इस मामले में मुकदमा दर्ज होना चाहिए.
तीन डॉक्टरों का था पैनल
रिटायर लेफ्टिनेंट कर्नल विजय तोमर के शव का पोस्टमार्टम तीन डॉक्टरों के पैनल ने किया. फोरेंसिक विशेषज्ञ को पैनल में शामिल किया गया था. डॉ. रिचा गुप्ता, डॉ. केसी धाकड़ व डॉ. विशाल ने पोस्टमार्टम किया. पंचनामा एसीपी सदर सुकन्या शर्मा ने भरा था. विसरा जांच में यह पता चलेगा कि मृत्यु से पहले विजय तोमर ने क्या खाया था. उनकी मौत की वजह कोई विषाक्त पदार्थ तो नहीं थी.
पहले ही जताया था जिंदगी को खतरा
रिटायर लेफ्टिनेंट कर्नल विजय तोमर की पत्नी प्रो. डॉ. अलका सिंह ने बताया कि उन्होंने सात सितंबर को अपर पुलिस आयुक्त को प्रार्थना पत्र दिया था. जिसमें लिखा था कि उन्हें जानकारी मिली है कि विपक्षी उनके परिवार को एससी/एसटी एक्ट के मुकदमे में फंसाने की साजिश कर सकते हैं. उनके परिवार और पति को विपक्षियों से जान का खतरा है. उनके पति पहले से जेल में बंद हैं. उस मुकदमे में भी निष्पक्ष विवेचना नहीं हुई है. पति के ऊपर जो धाराएं लगाई हैं वह बनती ही नहीं हैं. उन्हें व उनके पति को कुछ भी होता है तो इसके जिम्मेदार विपक्षी होंगे.
आगरा न्यूज़ डेस्क